LT COL NOEL ELLIS
05/V/2025
There is a saying, “if you open
your mouth too much, flies enter it”. That is what happened when the Paki Army
Chief addressed the overseas Pakistanis a few days before the dastardly attack
in Pahalgam.
He has sealed his mouth since
then and those flies would have laid their eggs inside. What is going to happen
now? That time will tell.
He got an extension for 5 years
and will serve till Nov 2027. If Pakistan exists till then. Or, he would remain
the Chief of a small portion of land which would be left after the Baluchis,
Sindhis and KPK have annexed themselves. POK would have returned to India
already by then. These are all conjectures and wishful thinking.
I heard the new “Defence
Chieftain” on TV of the Republic of India, wargaming with his conflict
specialists, laying out all possible scenarios of what India has Vs Pakistan?
How long can Pakistan last? What can they do in all three dimensions of land,
air, and sea? Besides, the involvement of China, Russia, the US, B’desh etc and
their internal security dimension.
If one has understood Gen Munir’s
intentions of “आ बैल मुझे मार”.
He also calls the shots for his civilian government & not the other way
round. He is positioning himself to take over the country the moment the first
Bomb falls on his land.
Their nuclear button is not with the
government but with the Army. Having understood their nature and modus
operandi, they will use it at the first instant, is my hunch. What have they
got to lose? POK, for whom they care two hoots. Balochistan, which is
spiralling out of control, Sindh if push comes to shove and KPK who have their
intentions clear. All are waiting for an opportune time.
Like they have been doing,
sending terrorists across to India, causing destruction to our fabric and pain
beyond imagination. Then they play innocent and deny as if they are unaware of
any such thing.
They shall apply the same
yardstick after exploding the N Bomb. Fire as many nuclear weapons, with the
probability of a few hits, cause mayhem and destruction and hope for the world
to stop India from retaliating. High hopes.
Have you ever heard their Air
Force Chief or the Naval Chief speak. Or, do they have an equal status as the
Army Chief? So the ground is clear who will press the N button. Consequences
will be dealt later.
My other worry is not just the
nuclear part of it. These guys are capable of breaking all treaties and getting
into manufacturing of Chemical and Biological weapons because of the existing
threat to their country from India. If they can butcher innocent civilians with
gun fire or human bombs, they would not hesitate to fight with chemicals and
biological weapons, is my argument.
India has superiority in numbers
of all sorts of arsenals, but no first use of nuclear weapons. They are capable
of using N bombs at sea, if there is a naval blockade. They are ready to eat
grass thereafter.
What if they poison our rivers
upstream, well beyond our dams. Our agricultural belt will get destroyed. Of
course, the same water will flow down stream once the floodgates are opened. By
then they would have done enough damage. Then ‘Khoon’ can keep flowing in the
Sindhu, it will make no difference to their thinking. I hope I am wrong in all
my assumptions.
If that country survives, it will
still produce terrorists. It is like a leaking tap, which has a slow drip and
will not let you sleep or let anyone repair it. The terrorist factory is so
deep rooted that if you kill one hundred they will replace them. Our selection
of targets should be meticulously planned and then fire for unimaginable
effect.
Loose lips of the Gen will
definitely sink his ships, but Pakistan has a dilapidated navy so what will
India sink? One can understand that empty vessels make more noise, but here is
an empty country and Generals with empty top stories. थोथा चना
बाजे घना meaning, One who does not have much knowledge blabbers the
most.
In a village where
tongues ran wild,
Words like arrows, sharp and riled,
Lived an old man, quiet and wise,
With knowing glances and silent eyes.
“Silence is
golden,” he’d always say,
“Let the fools talk — I’ll stay away.”
“Loose lips sink ships, remember that,
Speak too much, you’ll fall flat.”
Finally, I would say that India
is doing good by being silent. The one who speaks less often understands more.
Now hit where it hurts most. "दुखती
रग पर हाथ नहीं, हथौड़ा मारना"
A word of advice Pakistan जितनी चादर हो, उतना
ही पैर फैलाओ. Don't spread your legs like Imran.
Will Pakis ever stop taking
pangas? I wonder!!!!!!
JAI HIND
©® NOEL ELLIS
लेफ्टिनेंट कर्नल नोएल एलिस
05 मई 2025
एक
कहावत है — "मुंह ज़्यादा खोलो,
तो मक्खियाँ घुस जाती हैं।"
यही हाल कुछ दिन
पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ
का हुआ, जब उन्होंने
विदेशी पाकिस्तानियों को संबोधित किया
— और फिर पहलगाम में
वह कायराना हमला हो गया।
तब
से उनके होंठ जैसे
सिल गए हैं। शायद
उन मक्खियों ने अंडे भी
दे दिए होंगे। अब
क्या होगा? वक्त ही बताएगा।
उन्हें
5 साल का एक्सटेंशन मिला
है और नवंबर 2027 तक
सेवा में रहेंगे — अगर
तब तक पाकिस्तान बचा
रहा तो। या फिर
वो सिर्फ़ उस छोटे से
टुकड़े के चीफ रहेंगे
जो बलूचों, सिंधियों और KPK के अलग हो
जाने के बाद बचा
होगा। हो सकता है
तब तक POK भी भारत में
वापस आ चुका हो।
ये सब कयास हैं
और मन की आशाएं
भी।
मैंने
भारतीय टेलीविज़न पर एक डिफेंस
एक्सपर्ट को देखा, जो
युद्ध की रणनीति पर
चर्चा कर रहे थे
— भारत बनाम पाकिस्तान: कौन
क्या कर सकता है,
कितनी देर टिक सकता
है, ज़मीनी, हवाई और समुद्री
ताकत क्या है? साथ
में चीन, रूस, अमेरिका,
बांग्लादेश जैसे देशों की
भूमिका और पाकिस्तान की
आंतरिक सुरक्षा की स्थिति पर
भी बात हुई।
अगर
किसी ने जनरल मुनीर
की मंशा को समझा
है, तो वह है
— "आ बैल मुझे मार।"
वह अपने नागरिक हुकूमत
से ऊपर हैं। जैसे
ही उनके देश पर
पहला बम गिरेगा, वो
सत्ता हथियाने को तैयार हैं।
उनका
न्यूक्लियर बटन सरकार के
पास नहीं, सेना के पास
है। उनके स्वभाव और
तौर-तरीकों को समझते हुए
मेरा अंदाज़ा है कि वो
उसे पहले ही मौके
पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
उनके पास खोने को
है ही क्या? POK की
उन्हें परवाह नहीं, बलूचिस्तान उनके काबू से
बाहर है, सिंध अगर
जबरदस्ती की जाए तो
अलग हो सकता है,
और KPK की मंशा भी
साफ है। सभी एक
मौके की तलाश में
हैं।
जैसे
वे सालों से आतंकवादियों को
भारत भेजते रहे हैं — हमारी
सामाजिक बनावट को चोट पहुंचाने
और अकल्पनीय दर्द देने के
लिए। फिर मासूम बन
जाते हैं, जैसे कुछ
हुआ ही नहीं।
अगर
उन्होंने न्यूक्लियर बम चला दिया,
तो वही नीति अपनाएंगे
— अधिक से अधिक मिसाइल
दागो, कुछ निशाने पर
लगें, तबाही मचाओ — और फिर दुनिया
से उम्मीद करो कि भारत
को जवाबी हमला करने से
रोके।
क्या
आपने कभी उनके एयरफोर्स
या नेवी चीफ को
बोलते सुना है? लगता
है उनके पास कुछ
बोलने का अधिकार ही
नहीं। तो ये तय
है कि न्यूक्लियर बटन
कौन दबाएगा। uske परिणाम बाद में देखेंगे।
मुझे
सिर्फ न्यूक्लियर की चिंता नहीं
है — मुझे डर है
कि वे केमिकल और
बायोलॉजिकल हथियारों पर भी उतर
सकते हैं। अगर ये
लोग मासूमों को गोलियों और
आत्मघाती हमलों से मार सकते
हैं, तो रासायनिक हथियारों
से भी हमला करने
में हिचकिचाएंगे नहीं — यही मेरा तर्क
है।
भारत
के पास संख्या और
हथियारों में बढ़त है,
लेकिन वो न्यूक्लियर हमला
पहले नहीं करता। अगर
उन्हें समुद्री नाकाबंदी का सामना करना
पड़ा, तो शायद वे
समुद्र में बम दागें
— और फिर घास खाने
को भी तैयार हो
जाएं।
अगर
वे हमारी नदियों को ऊपर से
ज़हर दे दें, तो
हमारी खेती बर्बाद हो
जाएगी। हां, पानी एक
दिन नीचे भी आएगा,
लेकिन तब तक नुकसान
हो चुका होगा। फिर
चाहे 'खून' सिंधु में
बहे — उनके लिए कोई
फर्क नहीं पड़ेगा। मेरी
प्रार्थना है कि ये
सब सिर्फ कल्पना ही रहे।
अगर
वो मुल्क ज़िंदा रहा, तो आतंकवादियों
को पैदा करता रहेगा।
जैसे एक टपकता नल,
जो ना तो बंद
होता है और ना
ही आपको सोने देता
है। आतंकवाद की फैक्ट्री इतनी
गहरी है कि सौ
मरेंगे तो नए पैदा
हो जाएंगे। हमें अपने टारगेट्स
को सटीक चुनना होगा
— और फिर वार करना
होगा, ऐसा कि दुश्मन
सिहर जाए।
जनरल
की ये बकवास भरी
बातें शायद उनकी बची-कुची नौसेना को
भी डुबो दें। लेकिन
भारत डुबोए क्या? वहां तो सब
पहले से ही डूबा
हुआ है। कहते हैं
— "खाली बर्तन ज़्यादा आवाज़ करते हैं।" यहाँ
तो पूरा देश ही
खाली हो चुका है।
"थोथा चना बाजे घना" — यानी जिसका दिमाग़
कम, उसकी बकवास ज़्यादा।
गाँव में एक
बूढ़ा रहता था, शांत
और समझदार।
लोग जब अपनी
ज़ुबानों से तीर छोड़ते,
वो सिर्फ मुस्कराता:
“चुप रहना ही
सोना है,” वो कहता,
“बेवकूफों को बोलने दो
— मैं दूर ही भला।”
“ज़्यादा बोलोगे, तो डूबोगे — याद
रखना।”
अंत
में बस इतना कहूंगा
कि भारत का चुप
रहना समझदारी है। जो कम
बोलता है, वही ज़्यादा
समझता है। अब वार
करो — दुखती रग पर नहीं, हथौड़ा मारो।
और
पाकिस्तान के लिए एक
सलाह — "जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ।"
क्या
पाकिस्तान कभी अपनी हरकतों
से बाज आएगा? I wonder!!!!!!
जय
हिंद।
©® नोएल एलिस
चुप्पी ही सोना है
लेफ्टिनेंट कर्नल नोएल एलिस
05 मई 2025
एक
कहावत है — "मुंह ज़्यादा खोलो,
तो मक्खियाँ घुस जाती हैं।"
यही हाल कुछ दिन
पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ
का हुआ, जब उन्होंने
विदेशी पाकिस्तानियों को संबोधित किया
— और फिर पहलगाम में
वह कायराना हमला हो गया।
तब
से उनके होंठ जैसे
सिल गए हैं। शायद
उन मक्खियों ने अंडे भी
दे दिए होंगे। अब
क्या होगा? वक्त ही बताएगा।
उन्हें
5 साल का एक्सटेंशन मिला
है और नवंबर 2027 तक
सेवा में रहेंगे — अगर
तब तक पाकिस्तान बचा
रहा तो। या फिर
वो सिर्फ़ उस छोटे से
टुकड़े के चीफ रहेंगे
जो बलूचों, सिंधियों और KPK के अलग हो
जाने के बाद बचा
होगा। हो सकता है
तब तक POK भी भारत में
वापस आ चुका हो।
ये सब कयास हैं
और मन की आशाएं
भी।
मैंने
भारतीय टेलीविज़न पर एक डिफेंस
एक्सपर्ट को देखा, जो
युद्ध की रणनीति पर
चर्चा कर रहे थे
— भारत बनाम पाकिस्तान: कौन
क्या कर सकता है,
कितनी देर टिक सकता
है, ज़मीनी, हवाई और समुद्री
ताकत क्या है? साथ
में चीन, रूस, अमेरिका,
बांग्लादेश जैसे देशों की
भूमिका और पाकिस्तान की
आंतरिक सुरक्षा की स्थिति पर
भी बात हुई।
अगर
किसी ने जनरल मुनीर
की मंशा को समझा
है, तो वह है
— "आ बैल मुझे मार।"
वह अपने नागरिक हुकूमत
से ऊपर हैं। जैसे
ही उनके देश पर
पहला बम गिरेगा, वो
सत्ता हथियाने को तैयार हैं।
उनका
न्यूक्लियर बटन सरकार के
पास नहीं, सेना के पास
है। उनके स्वभाव और
तौर-तरीकों को समझते हुए
मेरा अंदाज़ा है कि वो
उसे पहले ही मौके
पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
उनके पास खोने को
है ही क्या? POK की
उन्हें परवाह नहीं, बलूचिस्तान उनके काबू से
बाहर है, सिंध अगर
जबरदस्ती की जाए तो
अलग हो सकता है,
और KPK की मंशा भी
साफ है। सभी एक
मौके की तलाश में
हैं।
जैसे
वे सालों से आतंकवादियों को
भारत भेजते रहे हैं — हमारी
सामाजिक बनावट को चोट पहुंचाने
और अकल्पनीय दर्द देने के
लिए। फिर मासूम बन
जाते हैं, जैसे कुछ
हुआ ही नहीं।
अगर
उन्होंने न्यूक्लियर बम चला दिया,
तो वही नीति अपनाएंगे
— अधिक से अधिक मिसाइल
दागो, कुछ निशाने पर
लगें, तबाही मचाओ — और फिर दुनिया
से उम्मीद करो कि भारत
को जवाबी हमला करने से
रोके।
क्या
आपने कभी उनके एयरफोर्स
या नेवी चीफ को
बोलते सुना है? लगता
है उनके पास कुछ
बोलने का अधिकार ही
नहीं। तो ये तय
है कि न्यूक्लियर बटन
कौन दबाएगा। uske परिणाम बाद में देखेंगे।
मुझे
सिर्फ न्यूक्लियर की चिंता नहीं
है — मुझे डर है
कि वे केमिकल और
बायोलॉजिकल हथियारों पर भी उतर
सकते हैं। अगर ये
लोग मासूमों को गोलियों और
आत्मघाती हमलों से मार सकते
हैं, तो रासायनिक हथियारों
से भी हमला करने
में हिचकिचाएंगे नहीं — यही मेरा तर्क
है।
भारत
के पास संख्या और
हथियारों में बढ़त है,
लेकिन वो न्यूक्लियर हमला
पहले नहीं करता। अगर
उन्हें समुद्री नाकाबंदी का सामना करना
पड़ा, तो शायद वे
समुद्र में बम दागें
— और फिर घास खाने
को भी तैयार हो
जाएं।
अगर
वे हमारी नदियों को ऊपर से
ज़हर दे दें, तो
हमारी खेती बर्बाद हो
जाएगी। हां, पानी एक
दिन नीचे भी आएगा,
लेकिन तब तक नुकसान
हो चुका होगा। फिर
चाहे 'खून' सिंधु में
बहे — उनके लिए कोई
फर्क नहीं पड़ेगा। मेरी
प्रार्थना है कि ये
सब सिर्फ कल्पना ही रहे।
अगर
वो मुल्क ज़िंदा रहा, तो आतंकवादियों
को पैदा करता रहेगा।
जैसे एक टपकता नल,
जो ना तो बंद
होता है और ना
ही आपको सोने देता
है। आतंकवाद की फैक्ट्री इतनी
गहरी है कि सौ
मरेंगे तो नए पैदा
हो जाएंगे। हमें अपने टारगेट्स
को सटीक चुनना होगा
— और फिर वार करना
होगा, ऐसा कि दुश्मन
सिहर जाए।
जनरल
की ये बकवास भरी
बातें शायद उनकी बची-कुची नौसेना को
भी डुबो दें। लेकिन
भारत डुबोए क्या? वहां तो सब
पहले से ही डूबा
हुआ है। कहते हैं
— "खाली बर्तन ज़्यादा आवाज़ करते हैं।" यहाँ
तो पूरा देश ही
खाली हो चुका है।
"थोथा चना बाजे घना" — यानी जिसका दिमाग़
कम, उसकी बकवास ज़्यादा।
गाँव में एक
बूढ़ा रहता था, शांत
और समझदार।
लोग जब अपनी
ज़ुबानों से तीर छोड़ते,
वो सिर्फ मुस्कराता:
“चुप रहना ही
सोना है,” वो कहता,
“बेवकूफों को बोलने दो
— मैं दूर ही भला।”
“ज़्यादा बोलोगे, तो डूबोगे — याद
रखना।”
अंत
में बस इतना कहूंगा
कि भारत का चुप
रहना समझदारी है। जो कम
बोलता है, वही ज़्यादा
समझता है। अब वार
करो — दुखती रग पर नहीं, हथौड़ा मारो।
और
पाकिस्तान के लिए एक
सलाह — "जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ।"
क्या
पाकिस्तान कभी अपनी हरकतों
से बाज आएगा? I wonder!!!!!!
जय
हिंद।
©® नोएल एलिस
Another great hit, straight from the heart Noel - admire your style and analysis 🙏
ReplyDeleteThank you
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